Thursday, June 5, 2008

कहां गये वे बच्‍चे



नोयडा और गाजि़याबाद से बच्‍चों के गायब होने की बढ़ती घटनाएं निठारी कांड जैसी किसी बड़ी आपराधिक गतिविधि की आशंका को बल दे रही है. पिछले 2 माह में केवल गाजि़याबाद के शहरी क्षेत्र से पुलिस के अनुसार 36 बच्‍चे लापता हैं जबकि सामाजिक संगठनों द्वारा की गयी जांच से पता चला है कि वास्‍तविक संख्‍या इससे कहीं अधिक है. ये सभी बच्‍चे गरीब तबके के हैं जिसके कारण पुलिस-प्रशासन ने इस मुद्दे पर अब तक बिल्‍कुल ध्‍यान नहीं दिया है.

नौजवान भारत सभा और बिगुल मज़दूर दस्‍ता की सयुंक्‍त जांच टीम द्वारा गाजि़याबाद और नोयडा की कुछ बस्तियों में 12 से 18 मई तक केवल एक सप्‍ताह के दौरान किए गये सर्वेक्षण में करीब 45 गुमशुदा बच्‍चों के बारे में पता चला. इनमें एक तिहाई संख्‍या लड़कियों की है. इनमें से अधिकांश बच्‍चे हाल ही में गुम हुए हैं.

इन संगठनों ने दिल्‍ली में एक प्रेस कान्‍फ्रेन्‍स में जांच रिपोर्ट 'कहां गये वे बच्‍चे' जारी करते हुए यह जानकारी दी.

नौजवान भारत सभा के तपीश मेन्‍दोला ने बताया कि नौजवान भारत सभा और बिगुल मज़दूर दस्‍ता ने एक महीना पहले गाजि़याबाद जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर इस मामले में कार्रवाई करने का आग्रह किया था. इस पर भी कुछ न होते देख दोनों संगठनों ने साझा टीम गठित कर खुद ही इन मामलों की जांच करने का फैसला किया.

एक सप्‍ताह की अवधि में किए गये जांच पड़ताल के दौरान जांच टीम को गाजि़याबाद के नन्‍दग्राम, हर्ष विहार, विजयनगर, प्रताप विहार, संजय नगर, रईसपुर, मिर्जापुर, राहुल विहार, खोड़ा, टिगरी, खड्डा, अर्थला, विकलांग कालोनी, घुकना, दीनदयालपुरी, सलारपुर, करहेड़ा, श्‍यामपार्क एक्‍सटेंशन, बुद्धविहार, नवादा, प्‍यारे लाल कालोनी आदि और नोयडा के भंगेल, विशनपुरा, ममूरा, चोटपुर, छिजारसी के इलाकों में की गयी पू्छताछ के दौरान करीब 45 गुमशुदा बच्‍चों के बारे में पता चला. इनमें से कुछ बच्‍चे तो काफी समय से लापता है.

सूचना का अधिकार कानून के तहत गाजि़याबाद पुलिस द्वारा उपलब्‍ध कराई गई जानकारी के अनुसार इस वर्ष मार्च और अप्रैल माह में गाजि़याबाद के शहरी इलाकों से 36 बच्‍चे गुम हुए हैं जबकि मई माह में बड़ी संख्‍या में बच्‍चों के गायब होने की घटनाएं अखबारों में आ चुकी है. जांच के दौरान यह भी पता चला कि अनेक गरीब मां बाप डर के कारण पुलिस के पास ही नहीं जाते या फिर उनकी रिपोर्ट ही नहीं दर्ज की जाती हैं. जांच टीम को ऐसे कई मां बाप मिले जिन्‍हें पुलिस थानों से अपमानित करके और डरा धमका कर भगा दिया जाता था. किसी तरह अगर उनकी रिपोर्ट लिख भी ली गयी तो उस पर कोई कार्रवाई करने के बजाय पुलिसवाले या तो उनसे पैसे वसूलने की फिराक में रहते थे या उन्‍हें यूं ही दौड़ाते रहते थे.

रिपोर्ट के अनुसार हाल के वर्षो में भारत मावअंगों के विश्‍वव्‍यापी व्‍यापार, चाइल्‍ड पोर्नोग्राफी और बाल वेश्‍यावृत्ति जैसे धन्‍धों का एक बड़ा निशाना बन गया है. निठारी जैसी घटनाओं के सामने आने के बावजूद पुलिस व प्रशासन में इस मामले के प्रति घोर लापरवाही और असंवेदनशीलता का रवैया बरकरार है. उच्‍चतम न्‍यायालय के दिशानिर्देशों का एक भी मामले में पालन नहीं किया गया है. निठारी कांड के बाद राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा गठित जांच समिति की संस्‍तुतियों पर भी कोई ध्‍यान नहीं दिया गया है.

(नौजवान भारत सभा व बिगुल मज़दूर दस्‍ता द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति का अंश)

2 comments:

Arun Aditya said...

अच्छा मुद्दा उठाया है आपने। आपकी प्रतिबद्धता को सलाम।

Ek ziddi dhun said...

gareeb ke bachho ko vyavstha yon hee leel letee hai. aap aisee baat boliye, jwaab milega- kya communist type baat kartee hain