Friday, April 11, 2008

क्‍या है यह..... एक क्षणिक आवेग


कुछ दिनों पहले अखबार पर सरसरी नजर डालते हुए एक खबर पर नजर अटक गयी. 'फेल होने के डर से एक चौदह साल की बच्‍ची द्वारा आत्‍महत्‍या'. र्शीषक ने मुझे पूरी खबर पढ़ने को मजबूर कर दिया और जैसे जैसे मैं खबर पढ़ती गयी मेरा चेहरा सफेद होता गया. एक मासूम सा चेहरा चुलबुली मुस्‍कुराहट लिये मेरी आंखों के सामने कौंध गया. वह बच्‍ची मेरे भतीजे की दोस्‍त हुआ करती थी. पिछले पांच साल के परिचय में उसको जितना जाना पहचाना था, उससे यह विश्‍वास करना कठिन था कि वह ऐसा कुछ कर सकती है. पुरानी जानपहचान थी, इसलिए सबसे पहले उसके मां बाप की ओर ही मेरा ध्‍यान गया. कैसे सहा होगा ? शायद उनके नजरों की ओर भी ताकने की हिम्‍मत नहीं बची थी मेरी पर फिर भी मै मिली उनसे और खुद के आंसुओं को रोक नहीं पायी. कितनी अजीब बात थी कि मैं खुद को संभाल नहीं पा रही थी और उस बच्‍ची के माता पिता मुझे ढांढस बंधा रहे थे. थोड़ी देर बाद सामान्‍य हुई तो मुझे लगा कि एक किशोर बच्‍ची के मां बाप को अपनी संवेदनाओं को छुपा कर कैसे दुनियादारी निभानी पड़ती है.
उसकी मां के आंसू शायद लोगों को यह समझाते समझाते ही सूख चुके थे कि उनकी बेटी के ऊपर कोई तनाव या दबाव नहीं था. हर नये सवाल पर उनकी नजरे चौंक जाती थी कि पता नहीं लोग क्‍या कहानियां गढ़े और उन्‍हे क्‍या जवाब देना पड़े. मैं अ‍चम्भित थी कि लोग जो चला गया उसके बारे में नहीं सोच रहे थे उनकी जिज्ञासा बस इसमे थी कि क्‍या हुआ होगा. चूंकि जाने वाला एक किशोर था तो कई और सवाल भी लोगों के नजरों में तैर रहे थे. मेरा मन अजीब सा कैसेला हो उठा अचानक दुख की जगह एक गुस्‍से ने ले ली पर यह गुस्‍सा लोगों पर नहीं था बल्कि उस जाने वाले के ऊपर था. क्‍या एक बार भी उसने यह नहीं सोचा कि उसकी इस हरकत से उसके मां बाप या परिवार पर क्‍या असर पड़ेगा. शायद उसे यह अंदाजा भी नहीं होगा कि उसकी मां उसके जाने का दर्द सीने में दबाये लोगों की जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए मजबूर होगी और जिस समय उसकी बचपन की यादे, उसकी शरारते मां के जेहन में होनी चाहिए, वो बेचारी उन सवालों का जवाब ढूंढ रही होगी जो लोगों की नजरों में दिख रहे थे. क्‍यों किया उसने ऐसा. एक चौदह साल की बच्‍ची में इतनी हिम्‍मत कैसे आ गयी. ऐसी क्‍या बात हो गयी कि वो अपनी उलझनें अपने माता पिता से भी नहीं बांट सकी. इतना बड़ा फैसला लेना क्‍या उसकी हिम्‍मत का सबूत था या उसकी कमजोरी........... या सिर्फ एक क्षणिक आवेग जो शायद गुजर जाता तो उसके कदम भी रूक जाते.