Tuesday, October 27, 2009

गोरखपुर में मज़दूरों की जुझारू एकजुटता और भारी जनदबाव के आगे ज़िला प्रशासन ने घुटने टेके

गिरफ़्तार मज़दूर नेताओं की रिहाई, मज़दूरों की मांगें 10 दिन में लागू कराने के लिखित समझौते के बाद आन्दोलन स्थगित

ज़िलाधिकारी कार्यालय पर चार दिन से चल रहा धरना और भूख हड़ताल समाप्त

साथियो,

गोरखपुर में चल रहे मज़दूर आन्दोलन में मजूदरों और नागरिकों के भारी दबाव के आगे अंततः प्रशासन को झुकना पड़ा और कल रात (22 अक्टूबर) सभी माँगों को मानने के लिए लिखित समझौता करना पड़ा। इससे पहले 21 अक्टूबर की रात को प्रशासन ने चारों गिरफ़्तार मज़दूर नेताओं को बिना शर्त रिहा कर दिया था।

मज़दूर नेताओं की अवैध गिरफ्तारी और बर्बर पिटाई के विरोध में 20 अक्टूबर को बरगदवा औद्योगिक क्षेत्र के पांच कारखानों में हड़ताल हो गई थी और 1500 से अधिक मज़दूरों ने ज़िलाधिकारी कार्यालय पर धरना और क्रमिक भूख हड़ताल शुरू कर दी थी। कात्यायनी जी के नेतृत्व में गठित गोरखपुर मजदूर आंदोलन समर्थक नागरिक मोर्चा की ओर से गोरखपुर में नागरिक सत्याग्रह आंदोलन शुरू करने की घोषणा से ज़िला प्रशासन पर और भी दबाव बढ़ गया था। कलक्ट्रेट परिसर में बैठे मजदूरों को भारी संख्या में पुलिस, पीएसी व रैपिड ऐक्शन फोर्स ने घेर रखा था, लेकिन मजदूर बड़ी संख्या में डटे रहे। 21 अक्टूबर को जबर्दस्त प्रदर्शन, शहर के नागरिकों और विभिन्न संगठनों के दबाव और दिन भर चली वार्ता के बाद रात को प्रशासन ने चारों मज़दूर नेताओं को रिहा कर दिया। लेकिन सभी फर्जी मुकदमे हटाने, पिटाई के दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई और मजदूरों की मांगें पूरी कराने के लिखित आश्वासन की मांग पर भूख हड़ताल और धरना जारी रहा।

22 अक्टूबर को दो अन्य कारखानों के मजदूर भी काम बन्द करके जिलाधिकारी कार्यालय पर धरने में शामिल हो गए। इसके बाद शाम को प्रशासन ने फर्जी मुकदमे हटाने, दोषी अधिकारियों के विरुद्ध जांच की सिफारिश प्रदेश सरकार को भेजने और 10 दिनों के भीतर मजदूरों की सभी मांगें पूरी करने का लिखित आश्वासन दिया और वरिष्ठ अधिकारियों ने मजदूरों के सामने इसकी घोषणा की। इसके बाद आन्दोलन को स्थगित करने का फैसला लिया गया।

आज के दौर में जब कदम-कदम पर मजदूरों को मालिकों और शासन-प्रशासन के गंठजोड़ के सामने हार का सामना करना पड़ रहा है, गोरखपुर के मजदूरों की यह जीत बहुत महत्वपूर्ण है। मजदूरों की एकजुटता और देश भर से मिले बुद्धिजीवियों, जनाधिकार कर्मियों और मजदूर संगठनों के व्यापक समर्थन के बिना यह मुमकिन नहीं था।

गोरखपुर के अलावा, लखनऊ, दिल्‍ली, नोएडा, गाज़ि‍याबाद, मुंबई, पटना, कोलकाता, लुधियाना, चंडीगढ़, इलाहाबाद, कानपूर, वाराणसी, बदायूं, छत्तीसगढ़, मध्‍यप्रदेश आदि से बड़ी संख्‍या में बुद्धिजीवियों व जनसंगठनों ने जिला प्रशासन और राज्‍य सरकार को ज्ञापन भेजे, अफसरों को फोन किये, बयान जारी किये। आप आंदोलन की सारी जानकारी तथा अखबारों में छपी खबरें और तस्‍वीरें ब्‍लॉग पर देख सकते हैं। ब्‍लॉग का पता है: http://bigulakhbar.blogspot.com